Sunday, December 12, 2010

कोई दोस्त...

कोई दोस्त है न रकीब है,
अब तो चैन भी न दिल की करीब है,
सोचता हूँ कभी बना लू, इन तनहाइयों को अपना दोस्त,
पर पता नहीं क्यों, इनकी भी दोस्ती मुझेई अब न नसीब है....