आज फिर इस दिल को तनहा पाया है,
तेरे से कुछ खुद को जुदा सा पाया है
कुछ दिनों की दूरी ने, ये मुझे बताया है,
तेरी सांसो की गर्मी से ही, ज़िंदा मेरा साया है,
मेरे हेर दिल की धढ़कन में तू बसी है, जाने कैसे तू मुझ से इतनी दूर हुई है,
मेरी आँखों को बस तेरे चेहरे का दीदार करना हैं,
कुछ बी हो अब, हमेशा तेरे पास रहना है,
तेरे से कुछ खुद को जुदा सा पाया है
कुछ दिनों की दूरी ने, ये मुझे बताया है,
तेरी सांसो की गर्मी से ही, ज़िंदा मेरा साया है,
मेरे हेर दिल की धढ़कन में तू बसी है, जाने कैसे तू मुझ से इतनी दूर हुई है,
मेरी आँखों को बस तेरे चेहरे का दीदार करना हैं,
कुछ बी हो अब, हमेशा तेरे पास रहना है,